Top Ad unit 728 × 90

बड़ी ख़बर

recent

हरियाली तीज ः न वो झूले रहे और न पहले वाले गीत

 हरियाली तीज ः न वो झूले रहे और न पहले वाले गीत



मंडी धनौरा-

कच्चे नींम की निबोली सावन जल्दी आयो रे...तीजो का दिन है, सखियों का संग है, अब ना करो मौसे से बात झूला झूलन दे.. आदि आदि लोकगीत सावन माह प्रारंभ होते ही गांवों एवं गली मौहल्लों में सावन के झूला झूलती महिलाएं यह गीत गाती नजर आती थी। हरियाली तीज से एक पखवाड़ा पहले ही घर एवं घेर एवं बागों में झूल पड़े जाते थे लेकिन वक्त के साथ सबकुछ बदल सा गया है। अब न तो पहले वाले वो गीत सुनाई पड़ते और नहीं वो झूले। यह सब सिमट सा गया है। हरियाली तीज के दिन में महिलाएं झूला झूलती है बहुत कम महिलाएं ही ऐसी होंगी जो हरियाली तीज पर सावन के गीत याद होंगे। इस पर महिलाओं से बात की गई तो उन्होंने कुछ इस तरह अपनी प्रतिक्रिया दी।---


 

हरियाली तीज के त्योहार में अब वो रस और खुशी नहीं रही। जहां हरियाली तीज महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। विवाहिता शादी की पहली तीज मायके में मनाती है। मायके में झूला झूलती है और सहेलियों और बहनों से एक सावन के गीत गाती है लेकिन आज यह सब सीमित होकर रह गया है।


                              पिंकी सैनी मंडी धनौरा


---------------------------------------------------------------------


तीज का त्योहार आते ही सभी महिलाएं मायके में कई दिन पहले ही पहुंच जाया करती थी। आंगन में झूले पड़ जाते थे। घरों में घेवर की महक बिखर जाती थी। लेकिन अब पहले जैसा त्योहार नहीं रहा है। त्योहार के नाम पर औपचारिकता पूरी होती है।



 प्रिया अग्रवाल मंडी धनौरा

-------------------------------------------------------------------

सावन की रिमझिम फुहार में गांव में पेड़ों पर झूलों और सावन के गीत के साथ माहौल किसी मेले से कम नहीं हुआ करता था। लेकिन आज एक दूसरे के घर जाना भी कोई पसंद नहीं करता है। सब अपने घरों में रहकर ही इस त्योहार को मनाने लगे हैं। कोराना से तीज का उत्साह भी कम कर दिया है।


       


                                       अलका रस्तोगी मंडी धनौरा

---------------------------------------------------------------------  

आज एकल परिवार व्यवस्था ने भी तीज के त्योहार को बेरंग कर दिया है। उधर बच्चों की पढ़ाई और घर के काम की व्यस्तता के चलते महिलाएं भी हर्षोल्लास के साथ त्योहार का आनंद नहीं ले पा रही हैं।


                                         रेनू अग्रवाल मंडी धनौरा

-----------------------------------------------------------------

पुराने समय में तीज का त्योहार बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था।औरतें बच्चे तीज के गाने गाकर झूला झूलते थे। गांव में पेड़ों पर झूले डलते थे।आज के समय में त्योहारों का रूप बदल गया है। आजकल पहले जैसी रौनक त्योहारों पर देखने को नहीं मिलती है।



                             कुसुम लता गोयल मंडी धनौरा

--------------------------------------------------------------


समय बदला तो तीज के त्योहार में भी काफी बदलाव आ गया है। अब झूले दिखाई नहीं देते तो सावन के गीत गाने वाली महिलाएं भी बहुत कम ही नजर आती है। तीज को लेकर महिलाओं में पहले उत्साह दिखता था लेकिन अब घरों में रहकर ही त्योहार के नाम पर औपचारिकता पूरी हो रही है।

                                     गुड्डी देवी मंडी धनौरा






        

हरियाली तीज ः न वो झूले रहे और न पहले वाले गीत Reviewed by Hindustan News 18 on August 11, 2021 Rating: 5

No comments:

All Rights Reserved by Hindustan News 18 © 2014 - 2018
Designed By WEB Unnati

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.